कृषि समाचारदेश विदेशसरकारी योजनाहरियाणा

Haryana news: ‘नीली क्रांति’ का नायक बना हरियाणा

-प्रति हैक्टेयर मछली उत्पादन में देशभर में दूसरे स्थान पर आया प्रदेश

Haryana news: हरियाणा गठन होने के बाद प्रदेश ने 80 व 90 के दशक में हरित क्रांति के दौरान अन्न उत्पादन में नए आयाम रचे। इसके बाद प्रदेश ने नरमा, किन्नू एवं दूध उत्पादन में भी अपनी खास पहचान बनाई। अब पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश नीली क्रांति का पाठ पढ़ा रहा है। आंकड़ों के अनुसार 1966 में महज 58 हैक्टेयर में मछली पालन हो रहा था। अब यह क्षेत्र 14 हजार हैक्टयर हो गया है। 2008-09 में ही 54 हजार 428 टन मछली उत्पादन हुआ और 2022-23 में 2 लाख 8 हजार टन हुआ था। इसी तरह से 2023-24 में 2 लाख 12 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन हुआ। मछली पालन से 25 हजार से अधिक किसान जुड़े हुए हैं तो लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। उल्लेखनीय है कि 1966 में सरकारी तौर पर मछली पालन शुरू हुआ। उस समय एक भी किसान मछली पालन से नहीं जुड़ा था और सरकारी स्तर पर ही कुछ क्षेत्र में मछली पालन होता था। 1966 में मत्स्य विभाग का बजट मात्र 3.15 लाख रुपए था वहीं वर्ष 2008-09 में पौने 7 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई, 2020-21 में बजट 30 करोड़ जबकि 2023-24 में बजट 170 करोड़ रुपए रहा। खास बात यह है कि झींगा, राहु, कत्तला मछली का निर्यात अन्य राज्यों के साथ विदेशों में भी होता है। हरियाणा में प्रति हैक्टेयर मछली उत्पादन 11 हजार किलोग्राम है जो राष्ट्रीय औसत 3500 किलोग्राम से करीब अढ़ाई गुणा अधिक है और प्रति हैक्टेयर मछली उत्पादन में हरियाणा देश में दूसरे स्थान पर है।

दो वर्षों में बनेंगे 10 हजार नए झींगा मछली फार्म
हरियाणा में अगले दो वर्षों में 10 हजार झींगा मछली फार्म बनाए जाएंगे और इस कड़ी में सिरसा में भी आने वाले समय में मछली पालन के क्षेत्र को दोगुणा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस समय प्रदेश में करीब 2800 एकड़ में झींगा मछली पालन किया जा रहा है। इसमें से अकेले सिरसा में 2300 एकड़ में मछली पालन हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार साल 2014-15 में प्रदेश में 70 एकड़ में करीब 140 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। 2021-22 में 1250 एकड़ में करीब 2900 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। पंचायतों के अधीन आने वाले 14 हजार से अधिक जोहड़ों में मछली पालन होता है। इसी तरह से 900 हैक्टेयर क्षेत्र तालाबों में, 5 हजार हैक्टेयर क्षेत्र नदियों एवं 22 हजार हैक्टेयर क्षेत्र नहरों में मछली उत्पादन हो रहा है। खास बात यह है कि सिरसा जिला प्रदेश ही नहीं देश का प्रमुख झींगा मछली पालन जिला है और यहां पर मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए टैस्टिंग लैब बनाई जाएगी। इसके अलावा भिवानी में 30 करोड़ रुपए की लागत से एक्वापार्क बनाया जाएगा। यह एक्वापार्क 25 एकड़ में बनेगा। इसमें मछली पालन से जुड़े नए-नए शोध, मछली पालन की नई किस्म, बीज पर शोध किया जाएगा।
चीन, जापान, अमेरिका व कोरिया में होती है निर्यात
हरियाणा की मछली चीन, जापान, अमेरिका, वियतनाम और कोरिया जैसे देशों के लोगों को बेहद भा रही है। यही वजह है कि हर साल हजारों टन झींगा मछली का निर्यात इन देशों में किया जा रहा है। सिरसा हरियाणा का सबसे बड़ा झींगा मछली उत्पादक जिला है और यहां पर प्रदेश के कुल झींगा मछली उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन होता है। अधिकांश मछली का निर्यात अमेरिका और चीन में होता है। दिल्ली और अन्य महानगरों के बड़े कारोबारी यहां से सीधा मछली उत्पादकों से मछली खरीदते हैं और उसके बाद प्रोसेसिंग यूनिट में मछली को प्रोसेस करने के बाद इसको चीन, अमेरिका, जापान, वियतनाम और कोरिया जैसे देशों में निर्यात किया जाता है। दिल्ली के अलावा बंगाल और आंध्र प्रदेश के कारोबारी भी सिरसा से मछली खरीदने आते हैं। हरियाणा में पैदा होने वाली सफेद झींगा खरीदने के लिए तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के खरीददार आते हैं। यहां से मछली को चीन समेत विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता है। इसके बीज और चारा आंध्र प्रदेश के मत्स्य व्यापारियों द्वारा लाए जाते हैं। विदेशों तक में मछली निर्यात होने के बाद किसानों को इसका अच्छा भाव मिलने लगा है और यही वजह है कि किसानों का रुझान झींगा मछली पालन की तरफ निरंतर बढ़ रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button